भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट: 28 फरवरी 2025 का विस्तृत विश्लेषण
भारतीय शेयर बाजार में आज, 28 फरवरी 2025, को बड़ी गिरावट देखने को मिली। इसे समझने के लिए इसे अलग-अलग हिस्सों में विभाजित करते हैं:
1. शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति
- सेंसेक्स 1,400 अंकों की गिरावट के साथ 73,201 पर बंद हुआ।
- निफ्टी 426 अंक गिरकर 22,119 के स्तर पर आ गया।
- यह 2025 की सबसे बड़ी गिरावटों में से एक मानी जा रही है।
💡 इसका असर:
बाजार में गिरावट आने से निवेशकों की संपत्ति में भारी नुकसान हुआ।
2. गिरावट के कारण
i) वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी
- अमेरिका की GDP उम्मीद से कम रही, जिससे वैश्विक बाजारों में गिरावट आई।
- विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से पूंजी निकालनी शुरू कर दी।
💡 इसका असर:
विदेशी निवेशक जब किसी बाजार को जोखिम भरा मानते हैं, तो वे वहां से अपना पैसा निकालकर सुरक्षित निवेश की ओर रुख करते हैं। इससे बाजार में बिकवाली बढ़ जाती है और गिरावट आती है।
ii) वैश्विक बाजारों का प्रभाव
- अमेरिका और यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई।
- एशियाई बाजारों में भी कमजोरी रही, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा।
💡 इसका असर:
जब दुनिया के अन्य बड़े बाजार गिरते हैं, तो भारतीय बाजार भी प्रभावित होता है, क्योंकि निवेशक सतर्क हो जाते हैं।
iii) व्यापारिक तनाव और नीतिगत बदलाव
- अमेरिका ने मैक्सिको और कनाडा पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे व्यापारिक अनिश्चितता बढ़ी।
- इसका असर एशियाई बाजारों पर भी पड़ा, जिससे भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई।
💡 इसका असर:
व्यापारिक तनाव बढ़ने से निवेशक सुरक्षित संपत्तियों (जैसे सोना और सरकारी बॉन्ड) की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे शेयर बाजार में दबाव बढ़ जाता है।
3. निवेशकों पर प्रभाव
- भारी गिरावट के कारण निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ।
- बाजार में अस्थिरता बनी हुई है, जिससे आगे और उतार-चढ़ाव की संभावना है।
- बड़े संस्थागत निवेशक सतर्क होकर अपने निवेश की रणनीति पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
💡 क्या करें?
- लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह गिरावट अच्छे शेयर खरीदने का अवसर हो सकती है।
- शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि बाजार में अभी भी अस्थिरता बनी हुई है।
- बाजार की स्थिति पर नज़र रखकर सही समय पर निवेश और निकासी के फैसले लेने चाहिए।
➡️ तीन मुख्य कारणों से बाजार में गिरावट आई:
- वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमजोरी, खासतौर पर अमेरिका की धीमी GDP वृद्धि।
- विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी, जिससे बिकवाली बढ़ी।
- अमेरिका के नए टैरिफ नियमों से व्यापारिक तनाव बढ़ना, जिससे बाजार में अनिश्चितता आई।
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